" जिस व्यक्ति ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई , आज उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से ही जेल भेजा जा रहा है और मीडिया पर जस्टिस कर्णन के बयान छापने पर भी पाबंदी लगा दी गई है " [caption id="attachment_1642" align="alignright" width="181"] हेमन्त खींची {{युवा , सामाजिक कार्यकर्त्ता }[/caption] जस्टिस कर्णन ने जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, ये सब उस एक पत्र का नतीजा है, क्या प्रधानमंत्री मोदी जी को भ्रस्टाचार के खिलाफ लिखे गए पत्र की जाँच करवा कर उचित कारवाई नहीं करनी चाहिए थी क्या , लेकिन ना भ्रस्टाचार की जाँच हुई न कोई कारवाई | इसके बाद जो हुवा है वो सब के सामने है | जो की अपने आपमें कई प्रश्न खड़े करता है जो की विचारनीय है - कही यह सब तो जस्टिस कर्णन के दलित होने के कारण नहीं हो रहा अगर ऐसा है तो आप सोच सकते है की जस्टिस कर्णन के आड़ में समूचे दलित तबके को कठोरता से दबाये जाने की कोशिश है | हम भारतीय सविंधान में वर्णित सभी एक -एक शब्दों का अनुसरण करते है
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