गुलाब कोठारी- मालिक और प्रधान संपादक, राजस्थान पत्रिका आरक्षण को लेकर आपने एक सर्वे किया है, आपके अखबार को लेकर एक रिसर्च मैंने भी की है हाल ही में आपके अखबार के प्रथम पृष्ठ पर एक सर्वे छपा, जिसमें बताया गया था कि आरक्षण से किस प्रकार समाज में वैमनस्य बढ़ रहा हैं। हालांकि आरक्षण के खिलाफ ये कोई आपकी पहली खबर नहीं थी। आप लंबे समय से आरक्षण के खिलाफ मुहिम चला रहें हैं यह खबर उसकी बानगी मात्र है। कुछ दिनों पहले आरक्षण पर आपका एक संपादकीय भी आया था जिसमें आरक्षण के खिलाफ खूब जहर उगला गया था और जमकर ज्ञान पेला गया था। मेरा करीब 17 साल से राजस्थान पत्रिका का पाठक रहा है यानि मैं लगभग 8 साल का रहा होगा जबसे ही आपके इस अखबार को पढ रहा था हालांकि आपके आरक्षण के खिलाफ लिखे गए संपादकी [caption id="attachment_8423" align="alignright" width="601"] भंवर मेघवंशी[/caption] य के बाद से ही मैनें पत्रिका बंद कर दिया और लोगों को भी ऐसा करने के लिए कहा। मैं खुद एक पत्रकार भी हूं और शोधार्थी भी, इसलिए आपकी खबरों और सर्वे की मंशा साफ तौर पर समझ सकता हूं। मेरी अपनी राय है कि शाय
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