दिल्ली। भारतीय नागरिकता बिल में केंद्र सरकार का प्रस्तावित संशोधन लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से पारित हो गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार यह कानून कल राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ लागू हो गया है। आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा गया है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा। नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। सरकार ने कहा है कि घुसपैठियों और शरणार्थियों के बीच अंतर किया जाना आवश्यक है। यह कानून किसी के भी खिलाफ भेदभाव नहीं बरतता है और न ही किसी का अधिकार छीनता है। नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर वाले क्षेत्र में दो श्रेणियां हैं जिन्हें इस विधेयक से दूर रखा गया है, इनर लाइन’ द्वारा संरक्षित राज्य और संविधान की छठी अनुसूची के तहत आने व
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