कांशीराम............ मान्यवर दीनाभाना ने जब मान्यवर कांशीराम को यशकायी डीके खापर्डे से मिलवाया तो उन्होनें मा. कांशीराम साहब को बाबा साहब की पुस्तक एनिहिलेशन आफ कास्ट पढने के लिए दिया। मा. कांशीराम ने बाबा साहब की पुस्तक एनिहिलेशन आफ कास्ट को तीन बार पढा और आन्दोलित हो गये। यहां से मा. कांशीराम का जीवन और उनका उद्देश्य पूर्णत: बदल गया एवं यहीं से मा. कांशीराम के जीवन में एक नयी स्फुर्ति आयी और उन्होंने मा. डीके खापर्डे, मा. दीनाभाना एवं अन्य साथियों के मिलाकर भारत में बहुजन आन्दोलन की शुरूआत की। मा. कांशीराम ने बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के आ न्दोलन का गहन अध्ययन किया तो इन्होंने देखा कि बाबा साहब के परिनिर्वाण के बाद उनका कारवां रूक गया है। इसलिए जहां-जहां से कारवां रुका था वहां-वहां से पुनः हमें आंदोलन रिस्टार्ट करना पडेगा। इसके बाद वे जी जान से इसे दोबारा से शुरू करने में जुट गए। पूना पैक्ट का धिक्कार:- मा. कांशीराम इस नतीजे पर पहुंचे कि अछूतों को मिलने वाले पृथक निर्वाचन के अधिकार को पूना पैक्ट ने समाप्त कर दिया और वह हथियार जो अछूतों को मिला था उसे गांधी जी ने पूना पै
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