जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही प्रदेश में कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति भी करवटें बदलने लगी है। कांग्रेस में बन रहे नए सत्ता केन्द्रों के बीच कभी प्रदेश की राजनीति की अहम धुरी रहे राष्ट्रीय महासचिव सीपी जोशी की अचानक बढ़ी सक्रियता इसमें उथल पुथल मचा रही है। तमाम अन्तर्विरोधों के बीच मांडलगढ़ में जिस रणनीति के सहारे उन्होंने विवेक धाकड़ को जिताया है, उसका लोहा केन्द्रीय नेतृत्व ने भी माना है।इस जीत के बाद बढ़ी उनकी सक्रियता ने उनके समर्थकों को तो लामबंद कर ही दिया है साथ ही उस धारणा को भी कांग्रेस में निर्मूल कर दिया है कि कांग्रेस में गहलोत और पायलट गुट ही बचे है। सीपी जोशी के रूप में तीसरे गुट के रूप में उनकी धमाकेदार वापसी दूसरे गुटों में हलचल मचा दी है। अब यह माने जाने लगा है कि राजस्थान में कांग्रेस की टिकटों या संगठन को लेकर कुछ भी फैसला होगा,वह सीपी जोशी की बिना सहमति से संभव नहीं होगा। सीपी जोशी की धमाकेदार सक्रियता कांग्रेस में जमीनी स्तर पर दिखाई भी देने लगी है। उनके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहने के दौरान जो उनके समर्थक थे, वे कुछ समय से निष्क्रिय हो गए थे। उन्हो
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