हुकूम" आपको नाम बदलने के लिए नहीं सबका साथ सबका विकास करने के लिए सत्ता सौंपी थी - आम मतदाता का दर्द
"हुकूम" आपको नाम बदलने के लिए नहीं सबका साथ सबका विकास करने के लिए सत्ता सौंपी थी ! ---------------------------------------------------------- लेकिन जिन्होंने 60 साल पहले के नेहरू को ईमानदारी से नहीं पढा, वो सवा चार सौ साल पहले के अकबर ए आज़म को क्या पढेंगे " ---------------------------------------------------------- इलाहाबाद और मुग़ल सराय का नाम ही क्यों पूरी डिक्शनरी ही बदल दीजिए - ************** 2014 में सबका साथ सबका विकास और अच्छे दिनों के आने का वादा कर केन्द्र की सत्ता में आई भाजपा ने एक के बाद करीब डेढ़ दर्जन राज्यों में भी फ़तह का परचम फहराया। कुछ राज्यों में पहले से भाजपा की सरकारें थीं। केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 30 साल बाद पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। लोगों को अच्छे दिन आने की उम्मीद थी ! सबके विकास की उम्मीद थी ! सबके साथ की उम्मीद थी ! रोटी और रोजगार की उम्मीद थी ! भ्रष्टाचार खत्म होने की उम्मीद थी ! कालाधन वापस आने की उम्मीद थी ! लेकिन यह सब उम्मीद ही रही और अब तो जनता इन उम्मीदों का इन्तजार भी नहीं कर रही है, क्योंकि उसका हाकिमों के वादों से भर