आजादी के 68 साल बीत जाने के बाद भी सामाजिक असमानता का कहर खत्म नहीं हुआ। वर्तमान के विज्ञान युग में भी अंधविश्वास की जड़े एक सभ्य मानव समाज को गुमराह कर पथ विचलित कर रही है। इसी षडयंत्र से बचाने के लिए हमारे पुरखों और बाबा साहब ने संविधान में बहुजन समाज को बराबर लाने और समाज पर होने वाले अत्याचारों से लड़ने के लिए आरक्षण का माध्यम दिया। लेकिन आज सत्ता में बैठे कुछ लोग नया तरीका अपना कर इसे ख़त्म करने की और अग्रसर है। जिसमें इन्हें ना विरोध-प्रदर्शन और ना ही किसी प्रकार की आलोचना झेलनी पड़े, इसके लिए बस सरकारी पद ही खत्म कर दो,और कोई नया विकल्प तलाशो जिसमे आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं हो और इसके लिए प्रक्रिया जारी है | एस सी, एस टी और ओबीसी वर्ग के युवा आज भी ये सोच रहे हैं कि उन्हें सभी सरकारी सेवाओं में आरक्षण है। और ये शायद उनके के लिए जरुरी भी है। लेकिन दिनों-दिन संसद-विधानसभा से लेकर अन्य कई संगठनों द्वारा कहीँ न कहीँ हौ - हला हो रहा है कि आरक्षण खत्म होना चाहिए। इसका असर भी साफ दिख रहा है क्योंकि सरकार कहीँ पदोंनति में , तो कहीँ मूलरूप से ही भर्ती में ही आरक्षण ख़त्म करने में तूली
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